Wednesday, 3 February 2016

“बारिश में चलना पसन्द है मुझे.. ताकि मेरे आंसू को कोई पहचान न सके.”:

“बारिश में चलना पसन्द है मुझे..
ताकि मेरे आंसू को कोई पहचान न सके.”:|:|:|
.
.
.
.
.
.
.
.
.ऐसे शायरी वो गांडमरे लौंडे मारते हैं..👆🏻👆🏻👆🏻👆🏻👆🏻

जो तालाब में नहाते वक़्त मूत भी कर देते हैं. 😝😝😝😝

No comments:

Post a Comment